आप दान सेवा का समर्थन करते हैं, तो आप बच्चों के लिए अनेक शिक्षा व संस्कार कार्यक्रमों का उपहार देते हैं। आपके दान से हमें अधिक जन के सेवा करने का प्रोत्साहन प्राप्त होता है।
अपने कौशल का उपयोग करके आप देश के समाज में अपना बहुमूल्य योगदान दे सकते है। आवश्यकताएं · आयु कम से कम 18 वर्ष या उससे अधिक हो।
जानिए हमारे विचार व संकल्प
वैदिक रक्षा संस्थान का उद्देश्य प्राचीन वैदिक सिद्धांतों को आधुनिक जीवन में पुनः स्थापित करना है। हमारा विचार है कि, वैदिक ज्ञान को आधुनिक समय में सुयोग्य संगम ही समाज को सशक्त और समृद्ध बना सकता है। वैदिक सिद्धांतों के माध्यम से, संस्थान लोगों को मानसिक, शारीरिक और आत्मिक रूप से सशक्त बनाने का प्रयास करता है। संस्थान समाज में नैतिकता, सदाचार और आध्यात्मिकता को बढ़ावा देने के लिए निरंतर प्रयासरत है।
हमारा लक्ष्य भारत की सांस्कृतिक व उत्कृष्ट जीवन मूल्यों कों प्रचारित व पुनः स्थापित करने का प्रयास है जिससे सामाजिक जीवन का उत्थान संभव हो। हम किसी पंथ या जाति विशेष के पक्ष में कार्य नहीं करते। संस्थान का प्रमुख कार्य बिंदु शिक्षा के माध्यम से सांस्कृतिक चरित्र निर्माण करना है। हम संस्थान के अंतर्गत भारतीय प्राचीन शैक्षिक परंपराओं पर आधारित अद्धयन केंद्र स्थापित और प्रबंधित करना है। हम वाचनालयों, साप्ताहिक ज्ञान शिविरों व कार्यशालाओ द्वारा शिक्षा का प्रसार करने में कार्यरत है। हम प्रकृति आधारित जीवनशैली को प्रोत्साहित करते है। हम "वैदिक केयर" के माध्यम से सर्वांगीण स्वस्थ जीवन के उपायों के प्रचार प्रसार में संलग्न है।
हम प्रत्येक विचारशील मनुष्य से आव्हान करते है कि, भारतीय समाज आपनी समभाव व सादगी के भावों से अलंकृत जीवनशैली के लिए विख्यात रहा है। भारत की उत्कृष्ट संस्कृति व आचार विचार का पुनः उत्थान करने में अपना योगदान करें। वैदिक रक्षा संस्थान का लक्ष्य भारत को एक सशक्त समाज में स्थापित करना है।
जानिए हमारे द्वार संचालित कार्य व सेवाएं
आपके ज्ञान यात्रा में समर्पित पुस्तकालय। यह ज्ञान प्राप्त करने का सर्वोत्तम स्थान है जहां पर विद्वानों तथा भारतीय पूर्वजों द्वारा लिखे गए पुस्तकों से ज्ञान प्राप्त कर सकें व आप अपन आधिदैविके ज्ञान यात्रा को अधिक प्रबल कर सकते हैं।
कार्य प्रगतिएक अवस्मरणीय अनुभव स्वयं को शोध करने का। आत्मपरिवर्तन, आत्मसाक्षात्कार, शांति व सुखानुभूति में सहायक ध्यान शिविर आप में नविन चेतना का संचार में सहायक। एक अवस्मरणीय अनुभव स्वयं को शोध करने का।
कार्य प्रगतिसमग्र शिक्षा पद्धति पर आधारित गुरुकुलम् के माध्यम से ब्रह्मचारी छात्रों को योग्य अनुभवी वयोवृध्दों गुरुजनों के सानिध्य में शालेय शिक्षा व संस्कारों को ग्रहण करने का अवसर प्राप्त होगा।
कार्य प्रगतिवैदिकावास वानप्रस्थ आश्रम उन सबके लिए है जिन्होंने अपने गृहस्थाश्रम संबंधित दायित्व को पूर्ण कर शेष जीवन ज्ञान साधना एवं गुरुकुलम छात्रों को ज्ञान दान में व्यतीत करना चाहते हैं।
कार्य प्रगतिशालिया शिक्षा के संग कला, साहित्य, शास्त्र और दर्शन की शिक्षा के साथ छात्रों को नैतिक व व्यावहारिक ज्ञान से पूर्ण कर उन्हें योग्य भारतीय व मनुष्य निर्माण करने का प्रकप प्रदान करना है।
कार्य प्रगतिहमारा प्रयास की हम बच्चों को बाल्य काल से ही प्रकृति संरक्षण के प्रति संवेदनशील बनाएँ व प्रकृति के प्रति सर्वांगीण दृष्टिकोण निर्माण करने का उपाए प्रस्तुत्त करते रहे।
कार्य प्रगतिभारतीय मनुष्य जीवन के बदलाव से बदलते परिवारीक, सामाजिक, आर्थिक व राष्ट्रीय विषयों पर विचार एवं प्राचीन वैदिक जीवन की आज के आधुनिक जीवन में प्रासंगिकता पर लेख.
हमारे भारतीय शहरी व्यवस्था हमें रोगी करने में भी कोई कमी नहीं करती. जनसंख्या वृद्धि से प्रभावित समस्याएं संभवतः हमारे शहरी विकास के कर्णधारों को अधिक मुक्तता नहीं देती के वे शहरों के पर्यावरण पर भी विचार करें।
भारतीय दर्शन में नदियों का महत्व सदा रहा है. हम आज भी उसी प्राचीन दर्शन के चलते नदियों को नित्य धार्मिक व जीवन के उपयोग में लेने का अधिकार समझते है। अंतर यह आया है की, प्राचीन काल में अधिकार के साथ कर्त्तव्य बोध भी होता था।
क्या हम योग्य रीति से नदियों में स्नान करते है? अधिकांष लोग इस पर विचार भी नहीं करते होंगे व संभवतः इसका ज्ञान भी नहीं होगा। पर्यटक भी गर्मियों में भी बड़ी संख्या में आते। दोनों शहरी व ग्रामीण लोगो के स्नान विधि मे बड़ा अंतर था।
आपके दान से हमें अधिक जन के सेवा करने का प्रोत्साहन प्राप्त होता है।
अपने कौशल का उपयोग करके आप देश के समाज में अपना बहुमूल्य योगदान दे सकते है।
कार्यक्रमों के प्रायोजक बने, व अपने संस्थान का जन जाग्रति कार्य में उल्लेखनीय योगदान दे सकते है।